--हाई कोर्ट का आदेश: दरगाह शरीफ़ पर होने वाले सभी धार्मिक और पारंपरिक आयोजनों पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।
--जायरीनों के रास्ते में कोई रुकावट नहीं होगी।
--कोर्ट का अंतिम आदेश जल्द ही सार्वजनिक होगा, जिसके बाद सभी संबंधित पक्षों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
हज़रत सैय्यद सालार मसऊद गाज़ी रहमतुल्लाह अलैहि की दरगाह पर हर साल लगने वाला पवित्र जेठ मेला, जो धार्मिक आस्था और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है, इस बार प्रशासनिक पाबंदियों के कारण सुर्खियों में रहा। लेकिन लखनऊ हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इन पाबंदियों को खारिज कर दिया है, जिससे देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को राहत मिली है।
पीआईएल संख्या 458
व अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने साफ निर्देश दिए कि दरगाह शरीफ़ पर होने वाले सभी धार्मिक और पारंपरिक आयोजनों पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।जायरीनों को आने-जाने की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है और प्रशासन को यह सख्त हिदायत दी गई है कि किसी को रास्ते में रोका न जाए।
इस केस में डॉक्टर लालता प्रसाद मिश्रा व एडवोकेट आलोक कुमार मिश्रा ने कोर्ट में प्रभावशाली बहस की। आलोक मिश्रा जी की प्रभावशाली दलीलों और न्यायिक दृष्टिकोण ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं का सम्मान बना रहे।
कोर्ट के इस फैसले से जहां श्रद्धालुओं में उत्साह है, वहीं स्थानीय व्यापारियों और रोज़गार से जुड़े लोगों को भी राहत मिली है।
यह मेला न सिर्फ़ आध्यात्मिक महत्व रखता है बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद अहम है।कोर्ट का अंतिम आदेश जल्द ही सार्वजनिक होगा, जिसके बाद सभी संबंधित पक्षों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
इस मौके पर मौजूद रहे: एडवोकेट आलोक कुमार मिश्रा, मौलाना मोहम्मद आज़म हशमती, एडवोकेट सुनील शुक्ला, सत्यार्थ मिश्रा, शाश्वत त्रिपाठी, आसिफ मोहम्मद, शिव कुमार, अब्दुल हक़, शाकिर अली, असरार अहमद, मौलाना इरशाद अहमद सक़ाफी, ख़ादिम मोहम्मद मसूद अली, ख़ादिम रमज़ान अली, फ़ज़ल असद शाज़ी, सुरजीत मिश्रा, आज़ाद, सुरेन्द्र कुमार शर्मा, व अन्य गणमान्य लोग।
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वरिष्ठ पत्रकार
एजाज़ आलम खान क़ादरी की रिपोर्ट
AKP न्यूज़ 786


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