"नर्स की फांसी टली! शेख़ अबूबकर मुसलीयर की अपील काम आई?"
"बस एक दिन बाद थी फांसी... लेकिन ऐन वक़्त पर बदल
गया पूरा फैसला!"
"क्योंकि सामने आए भारत के एक बड़े आलिम!
"केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी जो 16 जुलाई को यमन में होनी थी – उसे अब टाल दिया गया है!"
"यह फैसला ऐसे ही नहीं हुआ... इसके पीछे हैं भारत के जाने-माने सुन्नी आलिम – शेख़ अबूबकर मुसलीयर साहब!"
"उन्होंने यमन के इस्लामी विद्वानों से संपर्क किया, और कहा – शरीयत इंसाफ भी सिखाती है और रहम भी!"
शेख़ अबूबकर मुसलीयर मूल रूप से केरल, भारत में जन्म हुआ है।
प्रमुख सुन्नी इस्लामी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है। पूरी भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में एक अच्छा मुकाम रखते है और अनुयायियों की संख्या ज्यादा है।
"क्या शेख़ अबूबकर मुसलीयर की कोशिशें रंग लाएंगी?"
एजाज आलम खान कादरी की रिपोर्ट
AKP न्यूज 786
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📌 FAQs
Q1: निमिषा प्रिया कौन हैं और उन्हें फांसी क्यों दी जा रही थी?
A: निमिषा प्रिया एक केरल की नर्स हैं जिन्हें यमन में हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उनकी फांसी 16 जुलाई 2025 को तय थी।
Q2: फांसी टलने की वजह क्या है?
A: भारत के प्रमुख सुन्नी आलिम शेख़ अबूबकर मुसलीयर ने यमन के इस्लामी विद्वानों से संपर्क कर रहम और इंसाफ की अपील की, जिसके बाद यह फैसला बदला गया।
Q3: शेख़ अबूबकर मुसलीयर कौन हैं?
A: वे केरल के एक प्रतिष्ठित सुन्नी इस्लामी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिनके अनुयायी भारत ही नहीं दुनियाभर में हैं।
Q4: क्या यह फैसला स्थायी है या आगे कुछ और प्रक्रिया होगी?
A: अभी फांसी टाल दी गई है, लेकिन अंतिम फैसला यमन की अदालत और शरिया बोर्ड की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।
Q5: क्या भारत सरकार ने इस मामले में कोई भूमिका निभाई है?
A: हां, भारत सरकार द्वारा भी राजनयिक प्रयास किए गए हैं, लेकिन शेख़ अबूबकर मुसलीयर की व्यक्तिगत पहल निर्णायक साबित हुई।
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